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नफरत की दीवारों के बीच मोहब्बत का उजाला — मोहम्मदाबाद में मुस्लिम बच्चों ने मिट्टी के घरौंदे बनाकर मनाई दीपावली

*नफरत की दीवारों के बीच मोहब्बत का उजाला — मोहम्मदाबाद में मुस्लिम बच्चों ने मिट्टी के घरौंदे बनाकर मनाई दीपावली*

*मोहम्मदाबाद- गाजीपुर।*
एक ओर जहां कुछ राजनीतिक स्वार्थी तत्व समाज में नफरत की दीवारें खड़ी करने में लगे हैं, वहीं दूसरी ओर मोहब्बत और इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए मोहम्मदाबाद नगर क्षेत्र के मुस्लिम परिवारों ने दीपावली के पर्व पर आपसी भाईचारे की एक अनोखी तस्वीर पेश की।

दीपावली के इस पावन अवसर पर मोहम्मदाबाद नगर के कई मुस्लिम घरों में बच्चे मिट्टी के घरौंदे बनाकर खुशी-खुशी खेलते नजर आए। मासूम बच्चों के चेहरे पर वही उत्साह और मुस्कान झलक रही थी जो किसी भी हिंदू बच्चे के चेहरे पर दीपावली के दिन दिखाई देती है। इन घरों में भी दीपक जलाए गए, घरौंदों को सजाया गया।

स्थानीय लोगों का कहना है कि इन परिवारों में बच्चों को बचपन से ही सभी धर्मों और त्योहारों का सम्मान सिखाया जाता है। यहां बच्चे दीपावली, होली, ईद और बकरीद सभी पर्व एक साथ मिलकर मनाते हैं। यह नजारा इस बात का प्रमाण है कि मोहम्मदाबाद की मिट्टी में आज भी मोहब्बत की खुशबू और गंगा-जमुनी तहज़ीब की रूह बसती है।

नगर के युवा पत्रकार ने कहा कि “जहां कुछ लोग हिंदू-मुसलमान के बीच नफरत की आग भड़काने में लगे हैं, वहीं हमारे नगर के ये बच्चे अपने घरौंदों और दीयों से इंसानियत की रौशनी फैला रहे हैं। यही असली भारत है — जहां धर्म से ऊपर इंसानियत है।”

दीपावली के मौके पर मुस्लिम बच्चों द्वारा घरौंदे बनाना न केवल धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक है, बल्कि यह इस बात का भी संदेश देता है कि त्यौहार किसी धर्म की सीमाओं में नहीं बंधे होते। बच्चे इन मिट्टी के घरों में खेलते हैं, दीये जलाते हैं और अपने साथियों को बधाइयाँ देते हैं।

मोहम्मदाबाद नगर की यह झलक उन सभी के लिए एक सशक्त संदेश है जो समाज को बांटने की कोशिश करते हैं। यहां दीपों की रौशनी ने नफरत के अंधेरे को चीरकर यह दिखा दिया कि त्योहार तब ही सुंदर लगते हैं जब उनमें इंसानियत की चमक शामिल होती है।

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