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भावरकोल थाना अध्यक्ष द्वारा पत्रकार का नंबर को ब्लाक करने के मामले मे पत्रकारों मे रोष

भांवरकोल थानाध्यक्ष द्वारा पत्रकार का नंबर ,CUG नंबर पर ब्लॉक करना गंभीर मामला,पत्रकारो में रोष,पुलिस विभाग की निष्पक्षता पर सवाल

गाजीपुर जनपद मे पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मानी जाती है,और यदि पत्रकारों की आवाज़ को दबाने की कोशिश किसी सरकारी अधिकारी द्वारा की जाए, तो यह न केवल चिंताजनक है बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों पर सीधा प्रहार भी है। ऐसा ही एक मामला गाजीपुर जनपद के भांवरकोल थाना क्षेत्र से सामने आया है, जहां एक स्थानीय युवा पत्रकार राहुल पटेल के मोबाइल नंबर को स्वयं भांवरकोल थानाध्यक्ष द्वारा अपने सरकारी सीयूजी नंबर से ब्लॉक कर दिया गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पत्रकार राहुल पटेल किसी समाचार संबंधी मामले को लेकर भांवरकोल थानाध्यक्ष से संपर्क करना चाह रहे थे। उन्होंने कई बार थानाध्यक्ष के सरकारी CUG नंबर पर कॉल किया, लेकिन कॉल नहीं लग सका। प्रारंभ में इसे नेटवर्क या व्यस्तता की स्थिति माना गया, लेकिन जब बार-बार प्रयास के बावजूद संपर्क नहीं हो सका, तब तकनीकी माध्यम से जांच करवाने पर यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि थानाध्यक्ष ने स्वयं ही पत्रकार का नंबर ब्लॉक कर रखा है।
*_पत्रकारो में आक्रोश:-_* घटना की जानकारी जैसे ही पत्रकार समुदाय को हुई, पत्रकार संगठनों और स्थानीय मीडिया संस्थानों में आक्रोश की लहर दौड़ गई। कई वरिष्ठ पत्रकारों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों का खुला उल्लंघन बताया। उनका कहना है कि यदि कोई पत्रकार थानाध्यक्ष से सूचना प्राप्त करना चाहता है तो यह उसकी संवैधानिक जिम्मेदारी बनती है कि वह पत्रकार के सवालों का उत्तर दें। नंबर ब्लॉक करना न केवल असंवैधानिक है, बल्कि पत्रकारों को डराने और दबाने का एक अप्रत्यक्ष प्रयास भी हो सकता है।
*_यह सिर्फ पत्रकार नहीं, जनहित की आवाज़ को दबाने का मामला:-_* यह मामला केवल पत्रकार राहुल पटेल का नहीं, बल्कि उस पूरे समाज का है जो पत्रकारों के माध्यम से अपने सवाल अधिकारियों तक पहुँचाता है। पुलिस प्रशासन का यह कृत्य यह दर्शाता है कि वह जनता के प्रति जवाबदेह नहीं बनना चाहता।
*_थानाध्यक्ष पर क्या कार्रवाई होनी चाहिए?_*
*_जांच समिति का गठन:-_* जिले के उच्च अधिकारियों द्वारा स्वतंत्र जांच समिति गठित की जानी चाहिए, जो यह पता लगाए कि किन परिस्थितियों में पत्रकार का नंबर ब्लॉक किया गया।
*_कदाचार का मामला दर्ज:-_* यदि यह सिद्ध होता है कि जानबूझकर संवाद से बचने के लिए ब्लॉक किया गया, तो थानाध्यक्ष पर विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी चाहिए।
*_मानवाधिकार आयोग को सूचित किया जाए:-_* यह मामला सूचना के अधिकार और पत्रकार की स्वतंत्रता का हनन है, अतः इसकी शिकायत मानवाधिकार आयोग में की जानी चाहिए।
*_प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को भेजी जाए शिकायत:-_* पत्रकार राहुल पटेल या उनके सहयोगी पत्रकार प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया में इस मामले को दर्ज कराएं जिससे उच्चस्तरीय संज्ञान लिया जा सके।

*_शिकायत कहां और कैसे करें?,जिलाधिकारी/एसपी कार्यालय:-_* पत्रकार इस मामले की लिखित शिकायत जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक को दे सकते हैं।

*_आईजी/डीआईजी स्तर पर शिकायत:-_* उच्च अधिकारियों को ईमेल या लिखित ज्ञापन भेजा जा सकता है।

*_जनसुनवाई पोर्टल:-_* उत्तर प्रदेश सरकार के जनसुनवाई पोर्टल (jansunwai.up.nic.in) पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज की जा सकती है।

*_RTI के तहत जानकारी मांगी जाए:-_* पत्रकार को यह जानने का अधिकार है कि उसका नंबर किस आधार पर ब्लॉक किया गया, इसके लिए सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत जानकारी मांगी जा सकती है।
भांवरकोल थानाध्यक्ष द्वारा युवा पत्रकार राहुल पटेल का नंबर ब्लॉक किया जाना एक बेहद निंदनीय और चिंता का विषय है। यह एक लोकतांत्रिक देश में पत्रकारों के साथ हो रहा व्यवहार है, जो आने वाले समय में सभी के लिए खतरे की घंटी है। इस पर तत्काल सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि ऐसी घटनाएं दोहराई न जा सकें।

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