थाना अध्यक्ष से संपर्क करना हुआ मुश्किल आमजन भी परेशान,सरकारी नंबर पर है हमराहियों का कब्जा

*थाना अध्यक्ष से संपर्क करना हुआ मुश्किल आमजन भी परेशान, सरकारी नंबर पर है हमराहियों का कब्जा*
👉गाजीपुर, जनपद के थाना भांवरकोल सरकारी मोबाइल नंबर, जो जनता और मीडिया से सीधे संपर्क के लिए होता है, अब थानों में सिर्फ शोपीस बनकर रह गया है। गाजीपुर के भांवरकोल थाने में तो हालात और भी अलग हैं—यहां थानाध्यक्ष का CUG नंबर खुद थानाध्यक्ष के बजाय उनके हमराही कांस्टेबल संभाल रहे हैं।
18 मई की रात 9:30 बजे पत्रकार राहुल ने थानाध्यक्ष को एक जरूरी मामले में कॉल किया। उम्मीद थी कि कोई जानकारी या प्रतिक्रिया मिलेगी, लेकिन फोन उठाया कांस्टेबल गौरव राय ने। दो टूक कहा—”साहब अभी व्यस्त हैं”।
कुछ दिन बाद, 24 मई को दोपहर 4:06 बजे दोबारा कॉल किया गया। इस बार भी वही हाल—फोन तो उठा लेकिन न थानाध्यक्ष से बात कराई गई, न कोई जानकारी दी गई।
अब सवाल यह है कि—
1.जब थानाध्यक्ष खुद का सरकारी नंबर नहीं उठा रहे, तो ये नंबर आखिर है किसके लिए?
2.क्या जनता और पत्रकारों को सिर्फ थाने के बाहर चक्कर लगाने के लिए छोड़ा गया है?
3.क्या ऐसे फोन उठाना, फिर टालना—एक नई “अनऑफिशियल” पुलिस पॉलिसी बन गई है?
ये सवाल इसलिए जरूरी हैं क्योंकि मीडिया से संवाद न करना सिर्फ लापरवाही नहीं, जवाबदेही से भागने जैसा है। और अगर थाने का सरकारी नंबर भी “गनर-ड्राइवर” वाले मॉडल पर चला गया है, तो फिर इसे जनता के काम का कहना खुद जनता से धोखा है।
थानाध्यक्ष की चुप्पी अब जवाब मांग रही है—
सिर्फ पत्रकार नहीं, आम लोग भी जानना चाहते हैं कि क्या पुलिस अब “फोन से गायब” होकर भी जिम्मेदार रह सकती है”