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शुरू हो गया रहमतों और बरकतों का महीना रमजान,पूरे महीने इबादत में गुजरेंगे, मुसलमान एक महीने रहेंगे रोजा और क्या खाएं की ना लगे भूख और न लगे प्यास

इस्लामिक कैलेंडर का सबसे मुक़द्दस महीना रमज़ान का 2/3/2025 दिन रविवार से शुरू है। आलम-ए-इस्लाम में इस महीने की आमद के मद्देनज़र खुशियाँ दिखाई दे रही है। तमाम मुसलमीन आमद-ए-रमजान के इस्तकबाल की तैयारी में जुटे हुवे है। इस मुकद्दस महीने को अल्लाह का महीना माना जाता है। इस पुरे महीने मुसलमान रोजा रखते है। यानि सुबह-ए-सादिक (सूर्योदय से पूर्व) से लेकर तुलूब-ए-आफताब (सूर्यास्त तक) मुस्लिम समाज के लोग न कुछ खाते है और न ही पीते है। इस रोज़े (उपवास) की सख्ती ऐसी है कि गले के नीचे एक कतरा थूक का भी नहीं जाता है ईस्लाम के मुताबिक इस्लाम की मुकद्दस किताब कुरान रमज़ान में ही पैगंबर मोहम्मद सल्लाहो अलैही वसल्लम पर उतारी गई थी। इस महीने की में इस्लाम मज़हब की मान्यता है कि इस मुक़द्दस महीने में एक नेकी के बदल अल्लाह 70 नेकियो का सबाब देता है। मुस्लिम समाज के लोग इस पुरे महीने में इबादत-ओ-रियाज़त में बसर करते है। पुरे एक महीना रोज़ा रखते है। इस्लाम के पांच मूल सिद्धांतों में से एक रोज़ा भी है और यह एक ऐसा फ़र्ज़ है जिसे सभी मुस्लिमों को निबाहना ज़रूरी है। इस पुरे माह मुस्लिम समाज के लोग नेकियाँ करते है, सदका और ज़कात देते है,
“रमज़ान के दौरान, नमाज़ी मुसलमान सुबह सूरज उगने से पहले ही खाना खा लेते हैं, जिसे सहरी के नाम से जाना जाता है। इसके बाद पुरे दिन न कुछ खाते है और न ही पीते है। हद तक की मुह का थूक भी गले के नीचे नहीं उतरने देते है। इसके बाद मगरिब (सूर्यास्त) के वक्त वह रोज़ा इफ्तार करते है। दरअसल शाम को किये जाने वाले इस भोजन को इफ्तार कहा जाता है। लेकिन केवल उन्हीं लोगों से रोज़ा रखने की उम्मीद की जाती है जो स्वस्थ हैं। जबकि बीमारों, बच्चों, गर्भवती, स्तनपान कराने वाली या माहवारी के दौर से गुजर रहीं महिलाओं और यात्रियों को माना जाता है कि उन्हें रोज़ा रखने से छूट है।

कैसे करे सहरी और इफ्तार जिससे न लगे भूख और न ही प्यास

अमूमन देखा जाता है कि कुछ लोगों को रोज़ा रखने में परेशानी नहीं होती है लेकिन कुछ लोगों के लिए यह बहुत चुनौतीपूर्ण होता है और काम या अन्य रोज़मर्रे के काम के दौरान उन्हें भूख लगती है। तो, किस तरह का भोजन करने से भूख और प्यास दूर रहती है और रमज़ान के पूरे महीने को आसानी से निकालने में मदद करता है? यहां इन सवालों के जवाब ढूंढने की कोशिश की गई है।

सहरी के वक्त पूरे दिन भूख से बचने के लिए सही भोजन करना बहुत ही अहम है। पोषण मामलों के जानकारो की माने तो रमज़ान के दौरान, पूरे दिन में शरीर को जो ऊर्जा और पोषण तत्व ज़रूरी होते हैं उसे पूरा करने के लिए आपको प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स से भरपूर भोजन खाना चाहिए। साथ ही आपको ये सुनिश्चित करना होगा कि पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। पोषण मामलो के जानकार हल्का, सेहतमंद और पर्याप्त नाश्ता करने की सलाह देते हैं। जिसमे सूरज उगने से पहले, दूध से बने पकवान और टमाटर और खीरे जैसी ताज़ा सब्ज़ियां साथ ही चीज़ और अंडें भी ले सकते हैं। इसके अलावा आप सूप, ओलिव ऑयल में पकी सब्ज़ियां और फल का आनंद ले सकते हैं।

न्यूट्रशनिस्ट की माने तो सहरी के
दौरान, नमाज़ी मुसलमान सुबह सूरज उगने से पहले ही खाना खा लेते हैं, जिसे सहरी के नाम से जाना जाता है। इसके बाद पुरे दिन न कुछ खाते है और जाने वाले इस भोजन को इफ्तार कहा जाता है। लेकिन केवल उन्हीं लोगों से रोज़ा रखने की उम्मीद रोज़ा रखने से छूट ह
अमूमन देखा जाता है कि कुछ लोगों को रोज़ा रखने में परेशानी नहीं होती है ल करने से भूख और प्यास दूर रहती है और रमज़ान के पूरे महीने को आसानी से निकालने में मदद करता है? यहां इन सवालों के जवाब ढूंढने की कोशिश की गई को जो ऊर्जा और पोषण तत्व ज़रूरी होते हैं उसे पूरा करने के लिए आपको

न्यूट्रशनिस्ट की माने तो सहरी के दौरान कांप्लेक्स कार्बोहाइड्रेट लेना अच्छा है, ख़ासकर साबुत अनाज के रूप में क्योंकि इससे धीरे धीरे ऊर्जा निकलती है जो आपको पूरे दिन चैतन्य रखने में मदद करेगी। इसलिए ओट्स, होल ग्रेन ब्रेड और अनाज जैसी चीजें सहरी के लिए बेहतर विकल्प हैं। कुछ अध्ययनों में पता चलता है कि सेम, मटर और चना जैसी चीजों से मिलने वाले फ़ाइबर के स्रोत आपके पेट को 30 प्रतिशत तक भरा हुआ महसूस करा सकते हैं। आपको पेय पदार्थ लेना होगा ताकि आप रोज़ा से पहले शरीर में पानी की पर्याप्त मात्रा को बनाए रख सकें।

नमकीन खाने से आपको प्यास अधिक लग सकती है और यही एक प्रमुख बात है जिससे आप निपटना चाहेंगे। क्योंकि कई घंटों तक आपको प्यासे रहना होता है। प्यास को रोकने के लिए सहरी के दौरान कैफ़ीन युक्त चीजें लेने से भी बचना चाहिए और रोज़ा के दौरान खुद को हाईड्रेटेड रखने के लिए सहरी और इफ़्तार में दो से तीन लीटर पानी लेने की सलाह दी जाती है। ख़ास तौर पर जब शाम को इफ़्तार के दौरान रोज़ा ख़त्म किया जाता है, उस समय अधिक मात्रा में पेय पदार्थ लेना चाहिए और ऐसा खाना लेना चाहिए जिसमें प्राकृतिक मिठास हो ताकि ऊर्जा मिल सके, खजूर एक विकल्प है, जो कि पैग़ंबर मुहम्मद सल्लाहो अलैही वसल्लम के ज़माने से ही इफ्तार विकल्प रहा है और इस्लाम में खजूर से इफ्तार करना सुन्नत माना जाता है।

खजूर और पानी, इफ़्तार में खाने से पहले रोज़ा ख़त्म करने का सबसे बढ़िया विकल्प है। ये आपको ऊर्जा और शरीर में पानी, दोनों की ज़रूरत पूरा करता है। रोज़ा ख़त्म करने का एक और अच्छा विकल्प है सूप, क्योंकि इसमें बीन्स, दालें और सब्ज़ियों के अलावा ऐसी बहुत सारी चीज़ें होती हैं जो आपको अधिक खाए बिना पर्याप्त पोषण और फ़ाइबर मुहैया कराती है। पूरे दिन बिना कुछ खाए पिए रहने के बाद आप नहीं चाहते हैं कि खाने की शुरुआत किसी भारी या प्रोटीन से भरपूर खाने को खाएं क्योंकि इससे आप थकावट, सुस्ती और बीमार महसूस कर सकते हैं। रोज़ा ख़त्म करने यानी इफ़्तार के बाद भोजन अलग अलग संस्कृतियों और परंपराओँ में अलग अलग होता है, लेकिन आम तौर पर उनमें कई किस्म के भोजन होते हैं।

आपको ये तय करना चाहिए कि इफ़्तार में जो खाना खाते हैं उसमें स्टार्च, साबुत अनाज, फ़ाइबर से भररूप सब्ज़ियां और फल, प्रोटीन से भरपूर खाना जैसे कि मांस, मछली, अंडा और बीन्स संतुलित मात्रा में हों। यह भी सुझाव दिया जाता है कि आपको अधिक मीठा खाने की इच्छा से बचना चाहिए क्योंकि इससे वज़न बढ़ सकता है। कुछ न्युट्रशनिस्ट इफ़्तार के भोजन को एक बार में ही करने की बजाय दो हिस्सों में बांटने की सलाह भी देते हैं, इससे खून में ग्लूकोज की मात्रा के तेज़ी से बढ़ने को नियंत्रित करने में आसानी होती है, साथ ही हाजमा गड़बड़ाने का ख़तरा भी कम हो जाता है।

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