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डॉ. अहमद हंबली: ज्ञान, साहित्य और रूहानियत का आसमानी सितारा

*डॉ. अहमद हंबली: ज्ञान, साहित्य और रूहानियत का आसमानी सितारा*

हैदराबाद के प्रख्यात साहित्यकार, वरिष्ठ पत्रकार और सूफ़ी-ए-दक्खन के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी हज़रत डॉक्टर अहमद हंबली (मद्-दज़िल्लाहुल आली) आज भी ज्ञान, साहित्य और रूहानियत की दुनिया में एक रोशन चिराग़ की तरह जगमगा रहे हैं। उनका जन्म 19–20 रजब 1389 हिजरी की रात एक प्रतिष्ठित और आध्यात्मिक परिवार में हुआ। वे सूफ़ी-ए-दक्खन हज़रत याह्या पाशा के परपोते और पीर-ए-तरिक़त हज़रत सैयद शाह शहंशाह क़ादरी के सुपुत्र एवं उत्तराधिकारी हैं।

हज़रत याह्या पाशा का मजार रियाज़-ए-मदीना, मिस्रीगंज में स्थित है, जहाँ आज भी रूहानियत का साया बरक़रार है। उनके दादा हज़रत मोहियुद्दीन हुसैनी चाँद पाशा भी अपने समय के प्रसिद्ध सूफ़ी थे। इसी आध्यात्मिक वातावरण में पले-बढ़े डॉक्टर हंबली न केवल एक सूफ़ी मार्गदर्शक हैं, बल्कि कवि, लेखक, शोधकर्ता, वक्ता और पत्रकार भी हैं।

उनका पूरा नाम सैयद ग़ौस अली सईद है। उर्दू, हिंदी, अंग्रेज़ी, फ़ारसी और अरबी—इन सभी भाषाओं पर अद्भुत पकड़ रखने वाले डॉक्टर हंबली अद्वितीय काव्य-प्रतिभा के धनी हैं। उन्हें “फ़व्वारत-उश-शे’र” (कविता का झरना / फाउंटेन ऑफ पोयट्री) के नाम से ख्याति प्राप्त है, क्योंकि वे कुछ ही मिनटों में सैकड़ों अशआर, मनक़बत, नात और सलाम की लंबी रचनाएँ सहज रूप से कह देते हैं। यह सिर्फ़ कथन नहीं, बल्कि उनके 35 वर्षों के साथी सैयद नवेद ज़ाफ़री का प्रत्यक्ष अनुभव है।

उन्होंने जामिआ निज़ामिया से मौलवी कामिल प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया और उसके बाद उस्मानिया विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट (पी.एच.डी.) प्राप्त की। हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय से जनसंचार (मास कम्युनिकेशन) और अनुवाद तकनीक (ट्रांसलेशन टेक्नीक) में डिप्लोमा करने के बाद वे पत्रकारिता से भी जुड़े और 4टीवी में निदेशक के पद पर कार्य किया। बाद में धार्मिक और साहित्यिक दायित्वों को प्राथमिकता देते हुए उन्होंने यह पद छोड़ दिया।

डॉक्टर हंबली के अनेक लेख मासिक “महबूब” और “सूफ़ी आज़म” जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। उनकी प्रमुख पुस्तकों में इस्तक़बाल-ए-तजल्लीयात, तस्दीक़-उल-हरमैन, सादफ़ कुशा, गुलदस्ता-ए-इर्शादात और अल-ख़ुतब अल-जुमइय्या शामिल हैं। इसके अलावा उनके चार कविता-संग्रह—अस्रार-ए-ग़ैब, हिकमत शार, मिरात-ए-अज़ल और दबिस्तान—उर्दू साहित्य की अमानत माने जाते हैं, जबकि पाँचवाँ संग्रह हक़ीक़तनुमा प्रकाशनाधीन है।

उन्होंने सूफ़ी विचारधारा, प्रेम, शांति और इंसानियत का संदेश देश-विदेश तक पहुँचाया। उनकी विनम्रता, त्याग और सेवा-भाव ने उन्हें इस युग का अत्यंत सम्मानित आध्यात्मिक व्यक्तित्व बना दिया है। आज भी वे शायरी की इस्लाह, दीन की शिक्षा और सूफ़ी साहित्य को नई दिशा देने में अपना योगदान दे रहे हैं। मौलाना रूमी की ‘मसनवी मानवी’ पर उनके पाँच सौ से अधिक व्याख्यान यूट्यूब के “मोह़ी एकेडमी” चैनल पर उपलब्ध हैं, जो लोगों को मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं।

डॉक्टर अहमद हंबली का साहित्यिक और रूहानी व्यक्तित्व ऐसी जुगनू की तरह है जो समाज को रोशनी भी देता है और ईश्वरीय ज्ञान की सुगंध से महका भी देता है। उनकी काव्य-प्रतिभा, अरूज़ में महारत और आध्यात्मिकता ने उन्हें उस्ताद-ए-अदब के प्रतिष्ठित मुकाम पर स्थापित किया है।

लेखक: सैयद नवेद ज़ाफ़री
अनुवादक: सैयद सेराज़ अहमद (रिसर्च स्कॉलर एवं स्टेट हेड, जयदेश न्यूज़)

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