जिन्दा आदमी को कागज़ो में मृत- विपक्षियों की साजिश या प्रशासन की चूक ?

*हकीकत में जिंदा, कागज़ो में मृत- विपक्षियों की साजिश या प्रशासन की चूक ?*
*कासिमाबाद- गाजीपुर* जनपद के कासिमाबाद तहसील अंतर्गत हसनपुरा गोरा, परगना जहूराबाद निवासी हबीब अहमद पुत्र कबूल अहमद ने एक गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि कासिमाबाद तहसीलदार न्यायालय के आदेश में उन्हें मृतक दर्ज कर दिया गया है, जबकि वे स्वयं पूर्णतः जीवित हैं। इस पूरे मामले ने न केवल प्रशासनिक और न्यायिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी बड़ी चिंता उत्पन्न कर दी है।

हबीब अहमद के अनुसार विपक्षी पक्ष ने सुनियोजित तरीके से प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर न्यायालय को गुमराह किया। अदालत ने इस प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए आदेश पारित कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें अपने ही भाइयों के साथ मृतक घोषित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि इस आदेश से उनके अस्तित्व पर संकट खड़ा हो गया है और कानूनी प्रक्रिया में उनके अधिकार प्रभावित हो सकते हैं।
हबीब अहमद ने गहरी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि “मैं जिंदा हूं, चल-फिर रहा हूं, सामान्य जीवन जी रहा हूं, लेकिन कागज़ों में मुझे मृतक बना दिया गया है। यह मेरे जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी है। न केवल मेरी कानूनी लड़ाई प्रभावित हो रही है बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी यह मेरे लिए अत्यंत अपमानजनक है।”
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यदि किसी जीवित व्यक्ति को भी मृतक दर्शाया जा सकता है तो यह पूरे समाज के लिए चिंता का विषय है। लोगों का मानना है कि यह केवल एक व्यक्ति की समस्या नहीं है, बल्कि ऐसी घटनाएं आम नागरिकों के विश्वास को न्याय और प्रशासनिक प्रणाली से कमजोर करती हैं।
हबीब अहमद ने अधिकारियों से मांग की है कि इस प्रकरण की गंभीरता को समझते हुए इसे सही किया जाए और न्यायालय के समक्ष उन्हें जीवित व्यक्ति मानकर उनके अधिकार सुरक्षित किए जाएं। साथ ही, उन्होंने यह भी आग्रह किया कि इस तरह की त्रुटि या धोखाधड़ी के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो, ताकि भविष्य में किसी और को ऐसी स्थिति का सामना न करना पड़े।




